एमपी बोर्ड की 10वीं, 12वीं की परीक्षा के पेपर वायरल होने से पूरे सिस्टम पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। यह मामला विधानसभा तक पहुंच गया। एमपी बोर्ड का दावा है कि पेपर छात्रों को बंटने से पहले तक चेयरमैन, सेक्रेटरी भी इसे नहीं देख सकते। हकीकत यह है कि परीक्षा से पहले ही पेपर वायरल हो रहे हैं। बोर्ड की इन दोनों परीक्षा के पेपर सेट करने से लेकर सेंटर तक पहुंचने की प्रक्रिया का बारीकी से एनालिसिस किया गया।
मध्यप्रदेश में आज सुबह होते ही फिर पेपर लीक गिरोह एक्टिव हो गए हैं। सुबह से ही टेलीग्राम पर पेपर वायरल हुए हैं। ग्रुप में लिखा जा रहा है केमिस्ट्री का पेपर दिया गया है। बिजनेस का थोड़ी देर में आ रहा है। कृपया सेंटर थोड़ा लेट जाएं और पेपर यहां पहले पाएं। पेपर लीक ग्रुप की सिक्योरिटी इतनी तगड़ी है कि ना तो स्क्रीन शॉट ले सकते हैं न ही फोटो फॉरवर्ड होंगे। बता दें कि आज एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा का केमिस्ट्री बिजनेस और कई अन्य पेपर है। केमिस्ट्री का पेपर साफ ग्रुप पर उपलब्ध है। हालांकि दैनिक भास्कर वायरल पेपर की पुष्टि नहीं करता है।
टीचर सलेक्शन और पेपर सेट करने की प्रक्रिया सात महीने पहले (अगस्त) में शुरू हो जाती है। जिस दिन पेपर शुरू होता है उसके आधा घंटे पहले सेंटर पर सीलबंद लिफाफा खोला जाता है। इस पूरे चैनल में सबसे अहम किरदार केंद्राध्यक्ष और सहायक केंद्राध्यक्ष का होता है। यही वजह है कि विभाग द्वारा निलंबित किए गए 9 लोगों में केंद्राध्यक्ष और सहायक केंद्राध्यक्ष ही शामिल हैं। बोर्ड के सचिव श्रीकांत बनोट का कहना है कि थाने से सेंटर तक पेपर ले जाने का जिम्मा इन्हीं का है। इसलिए इन्हीं पर ज्यादा संदेह है।
हैरत होती है यह सब कैसे हो रहा है
एमपी बोर्ड के रिटायर्ड सेक्रेटरी एवं पूर्व आयुक्त लोक शिक्षण डीडी अग्रवाल ने बताया कि हर लेवल पर पूरी गोपनीयता रखी जाती है। 16 साल पहले कुछ जिलों में केंद्र अध्यक्ष द्वारा गलती से बाद में होने वाला पेपर पहले बांट दिया गया था। इसके बाद बड़ा बदलाव किया गया। इसके तहत बोर्ड के बजाय जिलों में रिजर्व पेपर के सेट रखवाने का निर्णय लिया गया। इसके बावजूद पेपर लीक होने पर हैरत होती है।
पेपर सेट करने की प्रक्रिया परीक्षा से सात महीने पहले शुरू हो जाती है
1. अगस्त से शुरू हो जाती है पेपर सेट करने की प्रक्रिया
- अगस्त में संभाग स्तर पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है। हर संभाग से विषयवार 2-2, 3-3 शिक्षकों को पेपर तैयार करने मॉडरेटर के तौर पर चुना जाता है।
- अक्टूबर में पेपर बनाने के लिए इन्हें भोपाल बुलाया जाता है। ये यहीं बोर्ड के रेस्ट हाउस में ही रुकते हैं।
- ये शिक्षक हिंदी और इंग्लिश वर्जन के पेपर के साथ-साथ मॉडल आंसर भी तैयार करते हैं। यह काम गोपनीय कक्ष में होता है। मॉडरेटर पेपर के पांच सेट तैयार करते हैं।
- मॉडरेटर द्वारा तैयार पेपर को सेट करने विषय विशेषज्ञ बुलाए जाते हैं। ये गलतियां सुधारकर सील बंद लिफाफे में पेपर पैक कर देते हैं। इन 5 से कोई भी सिर्फ दो सेट प्रिंट के लिए प्रिंटर को भेजे जाते हैं। ये पेपर बोर्ड के चेयरमैन, सेक्रेटरी या अन्य अधिकारी भी नहीं देख सकते।
2. नवंबर में पेपर छपकर तैयार, सील बंद लिफाफे में हो जाते हैं पैक
- नवंबर में पेपर छपकर तैयार हो जाते हैं। जिस दिन पेपर होते हैं, उससे तीन या चार दिन पहले सील बंद लिफाफे में जिला स्तर पर चुनी गई समन्यवक संस्था (भोपाल में मॉडल स्कूल) में बोर्ड के अधिकारी ये बॉक्स लेकर पहुंचते हैं। इसी संस्था से पेपर केंद्राध्यक्ष को दिए जाते हैं।
- केंद्राध्यक्ष ये पेपर संबंधित थाने ले जाकर थाने के लॉकर में रखते हैं। इसकी थाने में एंट्री होती है।
- जिस दिन पेपर होता है उसके डेढ़ घंटे पहले केंद्राध्यक्ष, सहायक केंद्राध्यक्ष, डीईओ द्वारा नियुक्त शिक्षक एवं कलेक्टर द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि की उपस्थिति में थाने के लॉकर से बॉक्स का ताला खोलकर पेपर के बंच निकालते हैं। थाने में एंट्री होती है। इस दौरान डीईओ प्रतिनिधि, कलेक्टर प्रतिनिधि एवं संबंधित थाना प्रभारी के दस्तखत होते हैं।
3. केंद्राध्यक्ष द्वारा थाने से सेंटर पर ले जाए जाते हैं, इसके बाद
- सेंटर पर पेपर शुरू होने के आधा घंटे पहले केंद्राध्यक्ष और एक परीक्षार्थी के दस्तखत होने के बाद ही पेपर के पैकेट खोले जाते हैं।
- सेंटर पर पेपर शुरू होने के तय समय से पांच मिनट पहले ड्यूटी पर मौजूद शिक्षक द्वारा पेपर परीक्षार्थियों को बांटे जाते हैं।