हिंदी फिल्में हों और उसमें गाना या म्यूजिक न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। हिंदी सिनेमा की शुरुआत से ही फिल्में और संगीत इसका अभिन्न हिस्सा रहे हैं। चाहे फिल्म की कहानी कितनी भी गंभीर हो…रोमांटिक हो या फिर कॉमेडी, नजब तक उसमें गानों का तड़का न लगे, मजा ही नहीं आता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस हिंदी फिल्म में सबसे ज्यादा गाने रहे हैं? किस फिल्म के नाम सबसे ज्यादा गानों का रिकॉर्ड है? यह फिल्म 91 साल पहले रिलीज हुई थी और इसमें एक-दो नहीं बल्कि 72 गाने थे।
जेएफ मदन ने बनाई थी ‘इंद्र सभा’, यह थीं एक्ट्रेस
‘इंद्र सभा’ को जेएफ मदन की कंपनी ने बनाया था, जिसका नाम मदन थिएटर था। जेएफ मदन न सिर्फ एक थिएटर आर्टिस्ट थे, बल्कि वह 20 और 30 के दशक के सबसे बड़े फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर रहे। ‘इंद्र सभा’ इसी नाम के एक उर्दू नाटक पर आधारित थी, जिसे सबसे पहले 1853 में प्रेजेंट किया गया था। फिल्म में जहानारा कज्जन और मास्टर निसार लीड रोल में थे। जहानारा एक एक्ट्रेस ही नहीं बल्कि सिंगर भी थीं। बीस और तीस के दशक में उनका खूब जलवा रहा। जहानारा कज्जन को ‘बंगाल की नाइटिंगेल’ कहा जाता था।
‘इंद्र सभा’ का रिकॉर्ड और कहानी
‘इंद्र सभा’ में 72 गाने थे, जोकि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है और आजतक कोई भी फिल्म यह रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई है। इसमें 9 ठुमरी, 4 होली के गाने, 15 गीत, 31 गजलें, 2 चौबोला, 5 छन्द और 5 अन्य सामान्य गाने थे। फिल्म की कहानी एक ऐसे दयावान और नेकदिल राजा की थी, जो अपनी प्रजा के साथ-साथ हर दुखी इंसान पर प्यार लुटाता है और आगे बढ़कर मदद करता है। इसी कहानी में ‘इंद्रसभा’ की एक अप्सरा है, जो राजा की परीक्षा लेने का फैसला करती है। लेकिन राजा की परीक्षा लेने के चक्कर में अप्सरा उसे दिल दे बैठती है।
कहां हैं ‘इंद्र सभा’ की हीरोइन?
‘इंद्रसभा’ में जहां जहानारा कज्जन ने सब्ज परी का किरदार निभाया, वहीं मास्टर निसार गुलफाम के किरदार में नजर आए। मास्टर निसार और जहानारा कज्जन की ऑफस्क्रीन और ऑनस्क्रीन सुपरहिट जोड़ी रही। दोनों ने एक्टिंग से लेकर सिंगिंग में कमाल दिखाया। जहानारा कज्जन ने कई दशकों तक इंडस्ट्री पर राज किया और फिर 1945 में उनकी मौत हो गई। तब जहानारा मात्र 30 साल की थीं।
1956 में भी बनी थी एक और ‘इंद्र सभा’
इस फिल्म के बाद 1956 में ‘इंद्र सभा’ नाम से एक और फिल्म बनी थी, जिसे नानूभाई बी ने डायरेक्ट किया था। लेकिन उस फिल्म में 72 गाने नहीं थे। बताया जाता है कि उसे जेएफ मदन की ‘इंद्र सभा’ की सफलता से प्रेरित होकर बनाया गया था।