महानगर हो, शहर हो या फिर गांव। सभी के लिए गंदे पानी का निपटारा यानी सीवेज हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। गांव तो दूर कई शहरों में भी सीवेज की हालत खराब है। ऐसे में अगर किसी गांव में अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम काम कर रहा हो, तो इसे मिसाल ही माना जाएगा। जी हां, मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक गांव ऐसा अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम है, जो शहरों से बेहतर है।
ये है बलदेवगढ़ ब्लॉक का चंदपुरा गांव। यहां की महिला सरपंच विदेह पाठक हैं। विदेह पाठक ने गांव की सबसे बड़ी सीवेज समस्या को न सिर्फ खत्म कर दिया, बल्कि बड़े शहरों से भी बेहतर बना दिया। उनके पति संजीव विदेशों के गांवों में इस टेक्नोलॉजी को देख चुके थे। अफसर भी मानते हैं कि ये गांव प्रदेश के अन्य शहरों व गांवों के लिए आदर्श है।
कभी बदबू आती थी, अब हालत बदल गए
जिला मुख्यालय से 27 किमी दूर चंदपुरा गांव। एक हजार घर। आबादी करीब 5 हजार। यहां भी सबकुछ वैसा ही है, जैसा सामान्य गांव में होता है। अंतर इतना है कि यहां दूसरे गांवों की तरह नालियों से बहती गंदगी नहीं दिखती। गंदा पानी नहीं दिखता। सड़कें साफ-सुथरी हैं। आखिर, नालियां आखिर कहां गईं? इस जिज्ञासा का जवाब गांव में रहने वाले मुकेश कुशवाहा और रतिराम कुशवाहा देते हैं। बताते हैं- यहां नाली ढूंढनी नहीं पड़ती थीं। सड़क पर बहती थीं। दिनभर सड़क पर कीचड़ से भरा रहता था। दुर्गंध और गंदगी के मारे जीना दुश्वार था। शिकायत करते-करते थक गए थे। फिर हमने इसे अपनी और गांव की किस्मत मान लिया। सोचते थे कि शहर होता, तो शायद यहां की गलियां भी चकाचक हो जातीं। फिर समय के साथ गांव की किस्मत भी बदली।
पिछले बरस सरपंच का चुनाव हुआ। सीट सामान्य महिला थी। 12वीं पास विदेह पाठक सरपंच बनीं। गांव के ही नरेश राजपूत कहते हैं- हमने पहले सोचा कि ये सरपंच भी औरों की तरह ही होंगी। वादे भरपूर, लेकिन काम नहीं होगा, लेकिन हम गलत थे। सरपंच ने गांव की तस्वीर ही बदल दी है। पहले गांव में बहुत गंदगी थी। शाम ढलते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता था। दिन में बदबू के कारण मुंह को कपड़े से ढांककर रखना पड़ता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। मच्छर कम हुए हैं। बदबू का स्थायी समाधान हो गया है।
दो चीजों की जरूरत थी पैसा और तकनीक, ऐसे मिल गई…
चंदुपरा गांव की सरपंच विदेह कहती हैं- मैं सिर्फ 12वीं तक पढ़ी हूं, लेकिन इतना समझती हूं कि किसी काम के लिए तीन चीजों को सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पहली इच्छाशक्ति, जो मेरे पास थी। दूसरी जरूरत है पैसे की और तीसरी तकनीक की। पैसे 5 महीने पहले 15वें वित्त की राशि से मिल गए। करीब 3 लाख 83 हजार रुपए की लागत आई। तकनीक मेरे पति संजीव के पास थी।
संजीव पिछले 15 साल से जॉब के चलते हरियाणा के यमुनानगर में पोस्टेड हैं। उन्होंने कंपनी की ओर से ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, मलेशिया जैसे देशों का भ्रमण किया। वहां देखा कि छोटे-छोटे गांव में भी साफ-सफाई है। संजीव ने यह बात सरपंच पत्नी को बताई। फिर क्या था, गांव की तस्वीर बदलने का काम शुरू हो गया।
ऐसे बदली गांव की तस्वीर
विदेह बताती हैं कि शहरों में बड़े सीवर लाइन से पानी निकलता है, लेकिन गांव में बड़े सीवर लाइन की जरूरत नहीं। 8-10 इंच के पाइप लाइन से हर घर को कनेक्ट कर दिया। घर के बाहर चैंबर बनाया। 15-15 फीट की दूरी पर चैंबर बनाए गए हैं। एक चैंबर को दूसरे से और दूसरे को तीसरे से कनेक्ट किया। इसी तरह, सभी चैंबर इंटरकनेक्टेड किए। एक बड़ा सोखता गड्ढा बनाकर उसमें पानी छोड़ा।
22 चैंबर बनाकर तैयार किया सिस्टम
गांव में अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम की शुरुआत मातवाना मोहल्ले से की गई है। मोहल्ले के करीब 25 से ज्यादा घरों से निकलने वाले गंदे पानी को अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम से कनेक्ट किया गया है। संजीव पाठक ने बताया कि करीब 150 मीटर का सीवेज सिस्टम तैयार है। इसमें 22 चैंबर बनाए गए हैं। प्रत्येक चैंबर को एक-दूसरे से पाइप के सहारे जोड़ दिया गया है। साथ ही, चैंबर को सीसी के ढक्कन से ढंक दिया गया है। पाइपलाइन डालने के बाद 6 से 8 इंच सीसी डालकर सड़क को कवर कर दिया गया है।
वॉटर लेवल भी बढ़ेगा
अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम के लास्ट पॉइंट पर एक लीच पिट बनाया गया है। जिसकी लंबाई-चौड़ाई 6-6 फीट और गहराई 8 फीट है। पाइप लाइन से लाया गया पूरा पानी इस लीच पिट छोड़ा है, जिससे जमीन का वॉटर लेवल बढ़ेगा। आसपास गंदगी भी नहीं दिखेगी। सभी चैंबरों की तरह लीच पिट को भी ढंक दिया गया है।
गांव में सीसीटीवी लगाने की तैयारी
सरपंच के पति संजीव ने बताया कि गांव को आत्मनिर्भर पंचायत बनाने की दिशा में काम करेंगे। साथ ही, भ्रष्टाचार मुक्त और स्वच्छ पंचायत बनाने का भी संकल्प लिया है। सरकारी स्कूल के पास पंचायत की जमीन पर दुकान बनाकर किराए पर देंगे। उससे होने वाली आय से गांव में सीसीटीवी लगाने का विचार है। समस्याओं के समाधान के लिए चौपाल भी बनाई जाएगी। कुछ काम सीवेज का बाकी है, उसे भी पूरा करा देंगे।
सीवेज सिस्टम की अफसरों ने की तारीफ
हाल में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के जिला समन्वयक मनीष जैन ने चंदपुरा गांव में तैयार किए गए अंडर ग्राउंड सीवेज सिस्टम का निरीक्षण किया। उन्होंने पंचायत के इस नवाचार की प्रशंसा की। मनीष जैन ने बताया कि चंदपुरा पंचायत को मॉडल बनाकर जिले की अन्य ग्राम पंचायतों में भी अंडर ग्राउंड सीवेज सिस्टम पर काम शुरू कराया जाएगा।
इसलिए शहरों से बेहतर है ये सिस्टम
- शहरों के मुकाबले लागत कम।
- शहरों में सीवेज का वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा। जबकि यहां किया जा रहा है।
- कई शहरों में अब भी नाले अनकवर्ड हैं। जिनमें बच्चे या मवेशी गिरकर घायल हो जाते हैं यहां सभी चैंबर कवर्ड हैं।
- ज्यादातर शहरों में सड़क किनारे बनी नालियों से ही सीवेज का पानी बहता है, जबकि यहां पाइपलाइन से अंडर ग्राउंड सीवेज की व्यवस्था है।