*चर्चा आज की*




हरदोई : श्री सीताराम सुंदरकांड सत्संग सेवा समिति के तत्वाधान मे हो रही श्री मदभागवत कथा मे कथा व्यास श्री विमलेश त्रिवेदी जी महाराज के श्री मुख से महाभारत के प्रसंग के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर राजा बन गए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने तय किया कि अब द्वारका लौटना चाहिए।
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श्रीकृष्ण सभी से विदा लेने लगे। अंत में वह पांडवों की माता, जो रिश्ते में श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं उनसे विदा लेने गए। तब उन्होंने कुंती से कहा कि आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं, इसलिए जो आपके मन में हो वह मांग लीजिए। इस पर कुंती कहती है कि यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो दुख दे दीजिए।इससे भगवान कृष्ण आश्चर्य में पड़ जाते हैं और कुंती से इसका कारण पूछते हैं। ऐसे में इसका कारण समझाते हुए कुंती कहती है कि यह मानव का स्वभाव है कि वह सुख के समय में भगवान को भूल जाता है और केवल दुख के समय में ही भगवान को याद करता है। कुंती आगे कहती है कि आप (भगवान कृष्ण) मुझे केवल दुख में ही याद आते रहो।
कार्यक्रम मे चंद्रहास द्विवेदी, मनीष शुक्ला,राधेश्याम पाण्डेय,अमित द्विवेदी, विजेंद्र कुमार गुप्ता, विनोद गुप्ता, राजेंद्र द्विवेदी,अभय द्विवेदी आदि भक्त मौजूद रहे।
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