नई दिल्ली : बैंकों की लाइन में लगकर कैश निकालने का चलन कम हो रहा है। पिछले कुछ सालों से डेबिट कार्ड, डिजिटल पेमेंट का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। साथ ही एटीएम कार्ड बदलने, कार्ड क्लोनिंग (ATM Card Cloning) व उससे जुड़े सैकड़ों केस भी बढ़ रहे हैं। बेफिक्री के चक्कर में आपका भी कार्ड स्किमिंग या क्लोन का शिकार हो सकता है। चाहे आपने ट्रांजेक्शन की हो या नहीं। एटीएम कार्ड आपकी जेब में होगा और मोबाइल पर अकाउंट से पैसे निकलने का मैसेज आ जाएगा। जब तक आप संभल पाएंगे। देर हो चुकी होगी।
केस-1
समयपुर बादली निवासी अशोक कुमार (बदला हुआ नाम) सरकारी महकमे से रिटायर्ड हैं। अधिकतर समय घर पर ही रहते हैं। एक रात अचानक उनके मोबाइल पर अकाउंट से पैसे निकलने का मैसेज आया। जब तक वह कुछ समझ पाते महज 5 मिनट के अंदर 3 मैसेज आ चुके थे। गौर से देखा तो करीब 49 हजार की रकम अकाउंट से पार हो चुकी थी। अशोक कुमार घबरा गए। वजह, एटीएम उनके पास था। न ओटीपी आया, ना हीं कॉल। नाहीं, डेबिट कार्ड उस समय यूज किया।
केस-2
कुछ इसी तरह रोहिणी निवासी 14 साल के शेखर (बदला हुआ नाम) पिता के कहने पर एटीएम कार्ड लेकर पैसा निकालने गए। कोशिशों के बावजूद जब पैसे नहीं निकले तो वहां पहले से अपनी बारी का इंतजार कर रहे शख्स ने शेखर की मदद के बहाने से कार्ड लिया और उनके सामने कैश निकालने की नाकाम कोशिश की। फिर शेखर से कहा कि शायद आपके कार्ड में दिक्कत है या मशीन में कैश नहीं है। शेखर वहां से निकलकर कुछ दूर गया ही था कि, पिता के मोबाइल पर दो बार में पैसे निकलने का मैसेज पहुंच गया। ये दोनों ही मामले एटीएम कार्ड क्लोन के समझने के लिए काफी हैं। ऐसा अक्सर आपके हमारे साथ जरा सी चूक से कभी भी घट सकता है।
भारत में है कमजोर एटीएम तकनीक!
दरअसल, भारत के एटीएम व उसका पूरा सिस्टम तकनीकी तौर पर इतने असुरक्षित है की साइबर ठगी करना बाएं हाथ का खेल है। ये दावा भी हम नहीं, बल्कि 2019 में बुल्गारिया के गिरफ्तार दो एटीएम ठगों से हुआ था। जो सिर्फ एटीएम ठगी के लिए टूरिस्ट वीजा पर भारत आते थे। इन्होंने खुलासा किया था कि एटीएम सेफ्टी फीचर इतने अनसेफ दिखे कि तीन साल से टूरिस्ट वीजा पर भारत आते और ठगी के बाद चले जाते थे। यह भी बताया कि यूरोप में तकनीक के हिसाब से एटीएम मशीनें इतनी सुरक्षित हैं कि क्लोनिंग या कोई गड़बड़ी होने पर पकड़ में आ जाती है, जबकि भारत में एटीएम मशीनें तकनीक के हिसाब से इतनी कमजोर हैं कि यहां ठगी कर पैसा निकालना बेहद आसान है।
स्किमिंग और कार्ड क्लोनिंग है क्या
एटीएम, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की क्लोनिंग के लिए सबसे पहली जरूरत होती है स्कीमर की। स्कीमर को स्वाइप मशीन या एटीएम में फिट कर दिया जाता है। आपने कार्ड स्वाइप या एटीएम में यूज किया। सारी डिटेल स्कीमर में कॉपी हो जाती हैं। जालसाज आपके कार्ड की सारी डिटेल कंप्यूटर या अन्य तरीकों के जरिए खाली कार्ड में डालकर कार्ड क्लोन तैयार कर लेते हैं। यहां तक कि देश विदेश में पैसे निकाल लिए जाते हैं। ज्यादातर क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग फ्रॉड स्किमर्स के इस्तेमाल के जरिए किए जाते हैं। स्किमर्स चुंबकीय पट्टी के माध्यम से क्रेडिट कार्ड की जानकारी जैसे नंबर, पिन, सीवीवी डेटा पढ़ते हैं, और हार्डवेयर जैसे पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल या एटीएम से जुड़े हो सकते हैं, जिससे वे उस हार्डवेयर की जानकारी का उपयोग करने वाले को चोरी करने की अनुमति देते हैं।
सुरक्षा गाइडलाइंस
– हर एटीएम पर सीसीटीवी कैमरे लगे हों, एंटी स्कैमिंग डिवाइस भी लगी हों
– 24X7 रिकार्डिंग हो, जिसमें एक महीने और अधिकतम तीन महीने तक सेविंग मोड हो
– एटीएम पर रियर व्यू मिरर लगा हो, ताकि मालूम रहे कोई उसके पीछे खड़ा होकर पिन तो नहीं देख रहा
– एटीएम में कार्ड डेटा प्रोटेक्शन की व्यवस्था हो, 24X7 सुरक्षा गार्ड तैनात हो
इस पर भी दें ध्यान
– जन्मदिन या खास डेट का न करें इस्तेमाल
– जन्मदिन, अकाउंट नंबर, फोन नंबर का इस्तेमाल पिन बनाने के लिए न करें।
– पिन बनाते वक्त ऐसे नंबरों का चयन करें, जिनके विषय में कोई आसानी से पता न लगा सके।
एटीएम में रखें ये सावधानियां
-एटीएम में जाएं, मशीन के कार्ड वाले स्लॉट को देखें, यह लूज है, तो इसमें कार्ड ना डालें
– स्लॉट के पास लगी ग्रीन लाइट ना जले तो समझो गड़गड़ है
– जब पासवर्ड डालें तो अपने हाथों से कीपैड को ढक लें
एटीएम ठगी होने पर क्या करें
-आपको अपने बैंक में तीन दिन के अंदर शिकायत दर्ज करानी होगी
-बैंक कार्रवाई पूरी करके 90 दिनों के अंदर आपका पैसा वापस खाते में आ जाएगा
-पुलिस थाने जाकर एफआईआर दर्ज कराएं, ऑनलाइन भी शिकायत कर सकते हैं
-आपको लगे कि खाते में कोई गड़बड़ी हुई, बैंक को कॉल कर कार्ड को ब्लॉक कराएं
ऑप्शन और सेटिंग का ध्यान रखें
जाने माने साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक, जब भी एटीएम यूज करें। चेक कर लें कहीं कोई डिवाइस तो नहीं है। कार्ड डालने से पहले खुद चेक करें। स्कीमिंग डिवाइस, कीपैड लूज है तो कार्ड यूज न करें। हो सकता है वहां हिडन कैमरा लगा हो, इससे बचने के लिए पासवर्ड डालते समय दूसरे हाथ से ढक लें। जिस एटीएम में पहले से दो तीन लोग खड़े हों, वहां यूज करने से बचें। किसी से मदद न लें, नाहीं किसी को कार्ड दें। यही लोग बातों में उलझाकर कार्ड बदल देते हैं। अगर कार्ड आपकी जेब में है, फिर भी पैसा निकल गया। समझो आपका कार्ड कहीं क्लोन हुआ और डेटा चोरी हो गया। इसी तरह क्रेडिट कार्ड का नुकसान भी है। अगर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड है तो उसमें भारत से बाहर पिन की जरूरत नहीं होती। उसमें खतरा बढ़ जाता है। भरोसेमंद जगह पर ही कार्ड यूज करें। कस्टमर केयर पर फोन करके उसे तुरंत ब्लॉक करवा दें। कुछ समय बाद एटीएम का पासवर्ड बदल लें।
कार्डलैस तकनीक है सेफ
एक नई टेक्नोलॉजी कार्डलैस विड्रॉल शुरू की। इसमें आप अपना मोबाइल लेकर एटीएम जाइए। पैसे निकाल लीजिए। इसमें आपको कोई कार्ड डालने की जरूरत नहीं होगी। इस कार्डलैस टेक्नोलॉजी की सुविधा से आज भी हमारे अधिकांश भारतीय अवेयर नहीं हैं। यही वजह है कि कार्ड क्लोनिंग की घटनाएं अब भी रुक नहीं पा रही हैं।
यूजर्स के पास ‘ताला चाबी’ सुविधा
आरबीआई ने हर एक के मोबाइल पर ‘ताला चाबी’ सुविधा दी हुई है। उसे कार्ड स्विच ऑन स्विच ऑफ कहते हैं। जब आप कार्ड इस्तेमाल करना चाहते हैं, आप उस मोबाइल पर ऑन का बटन दबा दो। जब काम हो जाए। उसे स्विच ऑफ कर दो। इस के बाद अगर कोई कार्ड चोरी कर लेता है या क्लोन कर लेता है या बदल भी लेता है तो भी वह कुछ नहीं निकाल पाएगा। इसी तरह से कार्ड ने निकाले जाने वाली पैसे की भी लिमिट तय कर सकते हैं।