तेहरान: ईरान में जारी विरोध प्रदर्शन ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के लिए मुसीबतें पैदा कर दी हैं। इन प्रदर्शनों के चलते अब ईरान के विदेश मंत्री ने अपना भारत दौरा कैंसिल कर दिया है। ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुलहानियन को अगले महीने यानी मार्च में रायसीना डायलॉग्स के लिए भारत आना था जिसका आयोजन तीन और चार मार्च को होना है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस कार्यक्रम के ही एक वीडियो ने ईरानी राष्ट्रपति रईसी को निराश कर दिया है। ईरान में पिछले करीब पांच महीने से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। हिजाब के खिलाफ जारी इन प्रदर्शनों की वजह से यहां की सरकार चारों तरफ से घिर चुकी है।
रायसीना डायलॉग थिंक टैंक ऑब्वर्जवर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) का एक फ्लैगशिप इवेंट है जिसका आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर किया जाता है। साल 2023 के कार्यक्रम से जुड़े इस आयोजन का प्रमोशनल वीडियो एक महीने पहले जारी किया गया था। इस वीडियो में दो सेकेंड की एक क्लिप में नजर आ रहा है कि कुछ महिलाएं अपने बाल काटती नजर आ रही हैं। उनके साथ ही ईरानी राष्ट्रपति रईसी की फोटोग्राफ भी है। यही तस्वीर बवाल की वजह बन गई है। ईरान दूतावास इस क्लिप से खासा नाराज है।
दूतावास अपने विदेश मंत्री के स्वागत की तैयारियों में लगा हुआ था। सूत्रों की मानें तो ईरानी दूतावास ने ओआरएफ और भारतीय विदेश मंत्रालय से भी संपर्क किया है। ईरानी अधिकारियों की तरफ से उनके राष्ट्रपति और प्रदर्शनकारियों को इस तरह से प्रदर्शित करने पर आपत्ति जताई गई है। मगर इसके बाद भी थिंक टैंक की तरफ से कोई नरम रुख नहीं दिखाया गया है।
ओआरएफ का जो वीडियो आया है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भी झलक है। ये झलक समरकंद सम्मेलन की है। रायसीना डायलॉग में जी-20 देशों के 20 से ज्यादा विदेश मंत्री शिरकत करने वाले हैं।
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन
इस पूरे रवैये से नाराज ईरान की सरकार ने आयोजकों को जानकारी दी है कि अब उनके विदेश मंत्री रायसीना डायलॉग के लिए भारत नहीं आएंगे।ईरान में सितंबर से विरोध प्रदर्शन जारी हैं। ये प्रदर्शन उस समय शुरू हुए जब 22 साल की माशा अमीन की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। अमीनी ने ईरान की अथॉरिटीज को हिजाब पर चुनौती दी थी। माशा की मौत के बाद पुलिस पर उसे प्रताड़ित करने के भी आरोप लगे थे।
यह बात भी गौर करने वाली है कि अभी तक भारत की तरफ से इन प्रदर्शनों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ मानवाधिकार आयोग (UNHRC) की तरफ से जो प्रस्ताव पेश किया गया, उस पर होने वाली वोटिंग से भी भारत नदारद था।