नई योजना
NPS का विरोध और न बढ़े, इसके लिए कुछ कदम उठना लाजिमी था। अब इसमें भी तय रिटर्न वाली पेंशन स्कीम पर विचार किया जा रहा है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) की ओर से भी इसकी तैयारी की जानकारी दी जा चुकी है। स्कीम अप्रैल से जून के बीच आ सकती है।
PFRDA को इस तरह की स्कीम का थोड़ा-बहुत अनुभव है। उसी की निगरानी में अटल पेंशन योजना चलाई जा रही है। इसमें भी ग्राहक को योगदान देना होता है, लेकिन न्यूनतम पेंशन तय है। हालांकि, ये 5000 रुपये प्रतिमाह से ज्यादा नहीं हो सकती। एक आकलन के मुताबिक इसके लिए जितना योगदान दिया जाता है, उस पर 8 पर्सेंट का रिटर्न निकलता है।
NPS का रिटर्न
अब NPS के रिटर्न पर नजर डाल लें। भले ही इसमें फायदा मार्केट पर निर्भर है, लेकिन अपनी शुरुआत से अब तक इसका रिटर्न शानदार है। लोग इसमें अपनी इच्छा के मुताबिक शेयर बाजार, कॉरपोरेट बॉण्ड और सरकारी सिक्योरिटीज में रकम लगा सकते हैं। अब तक शेयर बाजार में इसका जो हिस्सा लगा, उसने करीब 12 पर्सेंट रिटर्न दिया। कॉरपोरेट बॉण्ड्स में किए गए निवेश में करीब 9 पर्सेंट रिटर्न मिला, जबकि सरकारी सिक्योरिटीज में करीब 8 पर्सेंट मिला। लंबी अवधि में निवेश को देखते हुए इसे फाइनैंशल प्लानर कमतर नहीं मानते। फिर भी आम लोगों को अक्सर मार्केट रिटर्न पर भरोसा नहीं होता।
बढ़े ग्राहक
तमाम विरोध और मुश्किलों के बावजूद हाल के बरसों में NPS के ग्राहक तेजी से बढ़ते रहे। पिछले साल दिसंबर में तो ग्राहक एक साल पहले के मुकाबले 36 फीसदी बढ़ गए। इसकी एक वजह ये भी है कि NPS सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए नहीं है। कोई भी व्यक्ति पेंशन हासिल करने के लिए इससे जुड़ सकता है। इसमें जमा राशि पर टैक्स छूट मिलती है। अब इसके दायरे में वो पेंशन स्कीम सामने आएगी, जिसमें मार्केट का रिटर्न भले ही कम हो, लेकिन जिस न्यूनतम रिटर्न का वादा कर दिया जाएगा, उसे मुहैया कराया जाएगा। अभी इसके कुछ प्रस्तावों को बोर्ड की मंजूरी बाकी है, लेकिन PFRDA के चीफ इन दिनों मीडिया को कई बातों की शुरुआती जानकारी दे रहे हैं।
क्या है प्लान
खबरों के मुताबिक, पहले प्राइवेट कर्मचारियों के लिए यह स्कीम आएगी, फिर सरकारों को पसंद आई तो वहां भी इसे पेश किया जाएगा। न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी के बीच हो सकता है। जो भी तय होगा, सिर्फ एक साल के लिए। फिर नए सिरे से गौर किया जाएगा। स्कीम 10 साल ही चलेगी और निवेशक को भी 10 साल बने रहना होगा। कम से कम 5000 रुपये सालाना का निवेश जरूरी होगा। सबसे बड़ी बात इसमें फंड मैनेजमेंट की फीस ज्यादा होगी। यानी मौजूदा NPS के मुकाबले खर्चा ज्यादा, रिटर्न कम। NPS में फंड मैनेजरों पर कई तरह की बंदिशें हैं, लेकिन तय रिटर्न देने के लिए फंड मैनेजरों से कई तरह की बंदिशें हटाई जा सकती हैं। इससे रिस्क बढ़ भी सकता है। पर्सनल फाइनैंस मामलों के जानकार चंदन सिंह पडियार कहते हैं कि गारंटी कीमत मांगती है। एक और एक्सपर्ट पट्टाभिरमन मुरारी के मुताबिक, नई स्कीम यह सुनिश्चित करेगी कि ग्राहक वित्तीय आजादी न हासिल कर सकें।