इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान कई मोर्चों पर मुसीबतों से घिरे हुए हैं। इसके बावजूद अपनी राजनीति चमकाने के लिए वो कश्मीर और भारत का जिक्र करना नहीं छोड़ रहे। उन्होंने हाल में ही एक इंटरव्यू में शेखी बघारते हुए कहा है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली तक वह भारत से बातचीत नहीं करेंगे। हालांकि, इमरान ने यह नहीं बताया कि उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित कौन कर रहा है। दरअसल, भारत ने पहले ही दो टूक लहजे में कहा है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते हैं। ऐसे में अगर पाकिस्तान को बातचीत करनी है तो उसे खुद ही इसके लायक माहौल बनाना पड़ेगा।
इमरान खान ने क्या कहा?
इमरान खान ने कहा कि जब तक भारत कश्मीर की मूल स्थिति को बहाल नहीं करता, हम भारत के साथ बातचीत का समर्थन नहीं करेंगे। यहां तक कि अगर मैं सत्ता में वापस आता हूं, तो भी मैं भारत के साथ तब तक बातचीत नहीं करूंगा जब तक कश्मीर की स्थिति बहाल नहीं हो जाती है। इमरान खान के इस बयान को पाकिस्तान में चुनावी लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पाकिस्तान में इस साल के आखिर में चुनाव होना है। ऐसे में वह अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भारत के खिलाफ गलतबयानी कर माहौल को गरमाना चाह रहे हैं।
बुरी तरह घिरे हुए हैं इमरान खान
इमरान खान पाकिस्तान की राजनीति में बुरी तरह से घिरे हुए हैं। पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने तोशाखाना गबन मामले में उन्हें अयोग्य घोषित किया हुआ है। उनके कई लीक ऑडियो क्लिप ने काफी बेइज्जती करवाई हुई है। आसिफ अली जरदारी पर हत्या की साजिश रचने के आरोप में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने उन्हें कोर्ट में घसीटने की चेतावनी दी है। इस बीच चुनाव से पहले उनकी पार्टी के नंबर दो और तीन नेता पर जबरदस्त कानूनी कार्रवाई की गई है। इमरान की सरकार में सूचनी मंत्री रहे फवाद चौधरी पिछले कई दिनों से जेल में हैं। गृह मंत्री रहे शेख रशीद के बंगले पर कानूनी नोटिस मिला हुआ है।
5 अगस्त 2019 को रद्द हुआ था अनुच्छेद 370
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था। इस प्रक्रिया को बाकायदा भारतीय संसद से बहुमत के साथ मंजूरी मिली थी। अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था। जिससे वहां पर भारतीय कानून पूरी तरह से लागू नहीं होता था। इसे एक देश, दो विधान, दो प्रधान और दो निशान के नाम से भी जाना जाता था। अनुच्छेद 370 के तहत रक्षा, विदेश और संचार के विषय छोड़कर सभी कानून बनाने के लिए तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य की अनुमति जरुरी थी।