नई दिल्ली : फाइनैंस बिल 2023 (Finance Bill 2023) शुक्रवार को लोकसभा में पास हो गया है। इसमें कई टैक्स से जुड़े संशोधन किये गए हैं। डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) स्कीम पर मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) का फायदा अब नहीं मिलेगा। डेट म्यूचु्अल फंड्स पर मिलने वाले गेन को अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की बात करें तो यह टोटल इनकम में शामिल होगी और निवेशक जिस टैक्स स्लैब (Tax Slab) में आता है, उस हिसाब से टैक्स भरना होगा। मतलब, डेट फंड में मिलने वाला इंडेक्सेशन यानी महंगाई को एडजस्टमेंट करने वाला लाभ अब नहीं मिलेगा। लेकिन यह प्रस्ताव उन स्कीमों पर ही लागू होगा, जो अपने कुल फंड के 35 फीसदी से ज्यादा शेयरों में निवेश नहीं करती हैं।
10-15% के टैक्स स्लैब में आने वालों को नुकसान
आनंद राठी वेल्थ के CEO फिरोज अजीज का कहना है कि इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के अनुसार जो 10-15 पर्सेंट की टैक्स स्लैब में आने वालों पर ये नए नियम असर डालेंगे। यह नियम लागू होने पर डेट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या National Savings Certificate (NSC) जैसे फिक्स्ड इनकम विकल्प और हाइब्रिड फंड, सभी एक जैसे हो जाएंगे। आने वाले समय में डेट फंड की तरफ निवेशकों का आना कम हो सकता है, क्योंकि डेट फंड में जो इंडेक्सेशन बेनीफिट मिलता है वह बंद हो जाएगा। इस बदलाव के जरिये सरकार की मंशा फिक्स्ड डिपॉजिट, बॉन्ड, डिबेंचर और डेट म्यूचुअल फंड्स को समान मौका देने की है। गौरतलब है कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश किया ही इसलिए जाता है कि उसमें इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है जो कि फिक्स्ड डिपॉजिट में नहीं मिलता है।
इंडेक्सेशन का फायदा खत्म
वहीं बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि डेट म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और मार्केट लिंक्ड डिबेंचर (MLD) के लिए टैक्सेशन अब बराबर होगा। MLD पर मौजूदा समय में 10% LTCG + सरचार्ज लगता है। नए प्रावधान में इसके ब्याज से आय पर 10 फीसदी TDS कटेगा।
मौजूदा निवेशकों पर असर नहीं
आनंद राठी वेल्थ के सीईओ फिरोज अजीज का कहना है कि इसका असर केवल वैसे निवेशकों पर होगा जो 1 अप्रैल, 2023 से या उसके बाद नए सिरे से निवेश करेंगे। 31 मार्च, 2023 तक अगर कोई निवेशक डेट फंड्स में निवेश करता है और तीन साल बाद पैसा निकालेगा तो उसे LTCG टैक्स और इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
नए डेट फंड निवेशकों पर असर
अभी डेट म्यूचुअल फंड स्कीम से जो भी गेन कमाते हैं, उसे तीन साल की अवधि के बाद लॉन्ग टर्म माना जाता है और इंडेक्सेशन बेनीफिट के साथ उस पर 20% का टैक्स लगता है, जबकि बिना इंडेक्सेशन के 10 पर्सेंट टैक्स लगता है। यही वजह है फाइनैंशल अडवाइजर्स निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डालने से ज्यादा डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश की सलाह देते हैं। बदलाव हुआ तो टैक्स बनीफिट हट जाएंगे, और निवेशकों पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा। म्यूचुअल फंड असोसिएशन AMFI के चेयरमैन ए बालासुब्रमण्यम ने कहा कि बदले नियम का असर डेट फंड्स के अलावा इंडेक्स फंड, गोल्ड फंड, भारत बॉण्ड ईटीएफ और इंटरनैशनल फंड्स पर भी होगा।
किस तरह की स्कीम्स पर होगा लागू
जिन डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों में 35 पर्सेंट तक भारतीय इक्विटी में निवेश नहीं है, उनसे होने वाली इनकम को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के दायरे में माना जाएगा। ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएंगे। 35% से कम इक्विटी अलोकेशन वाली हाइब्रिड स्कीम, इंटरनैशनल फंड और गोल्ड फंड भी प्रस्तावित संशोधन के दायरे में आ जाएंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में स्कीमों में तेजी से बदलाव होंगे, ताकि LTCG का फायदा मिल सके।
क्यों लिया सरकार ने यह फैसला
टार्गेट मच्योरिटी फंड आदि में इंडेक्सेशन बेनीफिट मिलता है, जबकि उसी तर्ज पर काम करने वाले बॉण्ड औ डिबेंचर में नहीं। ऐसे में सरकार को लूप होल लगा और इंडेक्सेशन के चलते रेवेन्यू लॉस भी हो रहा था।
डेट फंड्स का टोटल AUM 7.8 लाख करोड़
मौजूदा MF का AUM 40.7 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें डेट MF का हिस्सा 19.2% है। फरवरी 2023 तक डेट म्यूचुअल फंड्स में कुल 7.8 लाख करोड़ का निवेश है।